Description
CONTAINS : Each 10 ml
Shankhpushpi Ext. 250 mg
Pippli Jatamansi Ext. 50 mg
Jatamansi Ext. 50 mg
Vaj Ext. 100 mg
Brahmi Ext. 200 mg
Panch Gavya Ghrit Honey 10 mg
Honey 9 mg
Processed in Suvarna Bhasma and Phal Ghrit
लाभ :
- मंत्रौषधि गर्भ सुवर्णप्राशनम से गर्भीणी एवं गर्भस्थ शिशु दोनों के मस्तिष्क का पोषण होता है ।
- गर्भस्थ शिशु में स्मृतिशक्ति बढ़ती है एवं मनोमय कोश का विकास होता है ।
- सुवर्ण के कण सूक्ष्म होने के कारण तथा वचा एवं शंखपुष्पी, ब्राह्मी जैसि मेधावर्धक औषधियों के साथ उसका उत्तम योग होने के कारण यह मिश्रण सब से श्रेष्ठ गर्भपोषक है ।
- सुवर्णप्राशन के नियमित सेवन से गर्भवती स्त्री की पाचन शक्ति बढ़ती है एवं खुराक पाचन होकर शक्ति का संचार होता है ।
सेवनविधि : सुबह ७ से १० बूँद खाली पेट सेवन करे ।
सेवनयोग्य व्यक्ति : गर्भावस्था के प्रथम मास से शुरु करके प्रसूति तक सेवन करें ।
Who can consume : To be taken by pregnant ladies only, from first month of pregnancy till delivery
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